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Israel Hamas War: ईरान और हमास के करीबी संबंध दुनिया के किसी देश से छिपे हुए नहीं हैं। हर मुश्किल मौकों पर ईरान हमास के लड़ाकों को आर्थिक मदद से लेकर हथियार तक मुहैया करवाता रहा है, लेकिन अब उसने भी अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। दरअसल, इसके पीछे अमेरिका द्वार ईरान के पास मिसाइलों से लैस युद्धपोत को भेजना भी बताया जा रहा है, जिससे संभावना है कि ईरान डर गया हो। इसके अलावा, एक वजह इजरायल द्वारा गाजा में की जा रही भयंकर बमबारी भी है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कथित तौर पर इस महीने की शुरुआत में हमास प्रमुख इस्माइल हानियेह से कहा था कि तेहरान को सात अक्टूबर के विनाशकारी आतंकवादी हमले की जानकारी ईरान को पहले से नहीं दी थी, इसलिए वह इजरायल के खिलाफ युद्ध में शामिल नहीं होगा। तीन वरिष्ठ अधिकारियों का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट में, रॉयटर्स ने बताया कि खामेनेई ने हनियेह से कहा था कि ईरान हमास को राजनीतिक समर्थन तो देगा, लेकिन वह लड़ाई में सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। इसके अलावा, ईरानी नेता ने कथित तौर पर हनिएह से हमास में उन आवाजों को चुप कराने के लिए भी कहा था, जो ईरान और उसके प्रॉक्सी आतंकी समूह हिजबुल्लाह को पूरी ताकत से इजरायल के खिलाफ युद्ध में सीधे शामिल होने के लिए कह रहे हैं।
‘हिजबुल्लाह भी इस नरसंहार से घबराया’
रिपोर्ट में कहा गया है कि हिजबुल्लाह भी इस नरसंहार से घबरा गया है। रॉयटर्स ने लेबनानी आतंकवादी समूह के एक अनाम कमांडर के हवाले से कहा, “हम एक युद्ध के प्रति सचेत हो गए हैं।” युद्ध तब भड़का था जब सात अक्टूबर को हमास के नेतृत्व वाले आतंकवादियों ने गाजा से दक्षिणी इजरायल में हमला किया था, जिसमें लगभग 1,200 लोगों की हत्या कर दी गई, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे, और यहूदी राज्य के इतिहास में सबसे घातक हमले में 240 से अधिक बंधकों को पकड़ लिया। इसके बाद इजरायल ने गाजा पट्टी में आतंकवादी समूह की सेना और सरकार को खत्म करने की कसम खाते हुए हवाई और जमीनी आक्रमण शुरू किया है। संघर्ष शुरू होने के बाद से, हिजबुल्लाह और आईडीएफ के बीच इजरायल-लेबनान सीमा पर लगभग रोजाना ही गोलीबारी हुई है।
‘हमास को हमले के बारे में नहीं था पता, हो नहीं सकता’
उधर, मोसाद के पूर्व उप-प्रमुख एहुद लावी ने रविवार को कहा था कि उनका मानना है कि इसकी संभावना नहीं है कि ईरान को हमास के हमले के बारे में पहले से पता नहीं था। लवी ने कहा कि क्या 7 अक्टूबर को हुए हमले जैसी महत्वपूर्ण, वास्तविकता बदलने वाली घटना, ईरानियों को पता चले बिना घटित हो गई? यह मेरे लिए अवास्तविक लगता है। पिछले महीने वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, समूह के जानलेवा हमले से कुछ हफ्ते पहले सैकड़ों फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने ईरान में विशेष युद्ध प्रशिक्षण लिया था। वहीं, व्हाइट हाउस ने भी कहा है कि उसे अभी तक नरसंहार से सीधे तौर पर इस्लामिक रिपब्लिक को जोड़ने वाला कोई सबूत नहीं मिला है।
ईरान के करीब पहुंचा अमेरिकी युद्धपोत
वहीं, ‘द सन’ की रिपोर्ट के अनुसार, एक अमेरिकी विमान वाहक स्ट्राइक ग्रुप और युद्धक विमानों को ईरान के तट पर मंडराते हुए देखा गया है। यूएसएस ड्वाइट डी आइजनहावर एयरक्राफ्ट अब ओमान की खाड़ी में है, जो ईरान से केवल 300 किलोमीटर दूर है। 4 नवंबर को स्वेज नहर से गुजरने के बाद इसे मध्य पूर्व में भेजा गया था। इसके बाद यह भूमध्य सागर में गेराल्ड आर. फोर्ड स्ट्राइक ग्रुप के साथ प्रशिक्षण लेने के लिए रुक गया लेकिन अब इस सप्ताह अरब सागर में पहुंच गया है। अमेरिकी समाचार चैनल वेवी के फुटेज में अमेरिकी विमानवाहक पोत को ओमान की खाड़ी से गुजरते हुए दिखाया गया है। हारेत्ज़ की रिपोर्ट के अनुसार, यूएसएस आइजनहावर, जिसके पास कई लड़ाकू जेट हैं, के साथ दो मिसाइल विध्वंसक, एक मिसाइल क्रूजर और एक मॉडर्न पनडुब्बी भी चल रही हैं। यह साथ में सैकड़ों क्रूज मिसाइलों से भी लैस है जो पूर्वी और मध्य ईरान के अधिकांश हिस्सों में लक्ष्य को भेदने में सक्षम हैं।
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