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गणेश चतुर्थी यानी मंगलवार से देश की नई संसद का ‘श्रीगणेश’ होने वाला है। इससे पहले सोमवार को संसद के विशेष सत्र का पहला दिन पुराने ही भवन में आयोजित हुआ। इसकी शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण से हुई, जिन्होंने विरासत को याद किया तो कुछ घटनाओं को लेकर तंज भी कस दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसी सदन में जब आजादी के बाद नेहरू ने अपना पहला भाषण दिया था तो वह ऐतिहासिक घटना थी। उस भाषण से पीढ़ियां आगे भी प्रेरणा लेती रहेंगी। वहीं लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश के जवानों का हौसला बढ़ाया था। पीएम मोदी ने कहा कि इसी सदन ने इमरजेंसी देखी। इसी ने फिर मजबूत लोकतंत्र की वापसी देखी।
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उन्होंने कहा कि यहीं पर चौधरी चरण सिंह ने पहली बार ग्रामीण विकास मंत्रालय का गठन किया। फिर भारत की आर्थिक परिस्थिति के लिए नरसिम्हा राव सरकार ने उदारीकरण का फैसला लिया। यहीं पर अटल जी ने जनजातीय कार्य मंत्रालय, पूर्वोत्तर मंत्रालय के गठन का फैसला लिया। प्रधानमंत्री ने इस दौरान यूपीए सरकार पर चुटकी भी ली। पीएम मोदी ने कहा कि यहीं पर हमने मनमोहन सरकार के दौर में यहीं पर वोट फॉर कैश कांड भी देखा। उन्होंने कहा कि इसी सदन में दशकों से अटके फैसले लिए गए। 370 हटाई गई और एक देश, एक टैक्स का फैसला लिया।
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हमने इसी सदन ने वह वक्त भी देखा है, जब 4 साल वाली पार्टी सत्ता में जाती थी और 100 वाली विपक्ष में होती थी। इसी सदन में एक वोट से अटल जी की सरकार चली गई थी और लोकतंत्र का गौरव भी बढ़ाया गया। आज छोटे-छोटे दलों ने देश के लोकतंत्र को आकर्षक बनाया है। इस देश में दो पीएम ऐसे रहे, मोरारजी देसाई और वीपी सिंह। जो पूरी जिंदगी कांग्रेस में रहे, लेकिन उससे अलग पीएम बने। इसी सदन में छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड का गठन हुआ। तब नए बने राज्य ने भी उत्सव मनाया और पुराने में भी खुशी हुई। लेकिन यहीं पर जब तेलंगाना का गठन हो रहा था तो उसके हक को दबाने के प्रयास हुए।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी सदन में संविधान के सदस्यों ने अपने वेतन को कम रखने की बात कही थी, लेकिन इसी सदन में सब्सिडी में भोजन सांसद करते रहे। सदन में भारत की आत्मा की आवाज गूंजी है। मैं इस सदन तो प्रणाम करता हूं, जिसने पिछले 75 सालों में लोकतंत्र को सशक्त किया। उन्होंने अपने सफर को भी याद करते हुए कहा कि इसी सदन में प्लेटफॉर्म पर रहने वाले एक शख्स को मौका मिला। यही वजह थी कि सांसद बनने के बाद पहली बार जब मैं यहां आया तो सदन को झुककर प्रणाम किया।
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