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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार 27 साल से अटके महिला आरक्षण बिल को संसद से पारित कराने के मूड में नजर आ रही है। इसके लिए केंद्रीय कैबिनेट ने बिल को मंजूरी दे दी है। अब इसे संसद में पेश किया जाना है। इस बिल को पास कराकर जहां बीजेपी महिलाओं यानी आधी आबादी का समर्थन हासिल करना चाहती है, वहीं विपक्षी इंडिया गठबंधन में भी दरार डालना चाहती है क्योंकि इस बिल के प्रस्तावों के विरोध में लालू प्रसाद, नीतीश कुमार और अखिलेश यादव की पार्टी रही है। ये लोग महिला आरक्षण बिल में ओबीसी कैटगरी की महिलाओं के लिए भी उसी कोटे में आरक्षण देने की मांग करते रहे हैं।
कैसी हो सकती है 2024 की लोकसभा की तस्वीर
2008 में पेश बिल के प्रस्तावों के मुताबिक सिर्फ लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में ही 33 फीसदी महिला आरक्षण दिए जाने की पेशकश की गई है। नए बिल के प्रावधानों के बारे में अभी तक जानकारी नहीं है। अगर उसी पैटर्न पर सरकार ने 33 फीसदी महिला आरक्षण लागू किया तो लोकसभा की तस्वीर बदल जाएगी।
फिलहाल लोकसभा में 543 सीटें हैं। 33 फीसदी आरक्षण मिलने के बाद 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। 2019 के आम चुनावों में इस संख्या से आधी से भी कम सीटों पर महिलाएं जीतकर संसद पहुंची थी। बता दें कि 2019 में कुल 78 महिलाएं ही लोकसभा में जीतकर पहुंची थीं। यह कुल सदस्यों का 14 फीसदी है जो 1952 के बाद सबसे ज्यादा है। इससे पहले 16वीं लोकसभा (2014 के चुनावों) में 64 महिलाएं जीतकर संसद पहुंची थीं, जबकि 15वीं (2009) में 52 महिलाएं चुनी गई थीं।
किन दलों को ज्यादा लाभ?
अब इस बात की भी चर्चा होने लगी है कि अगर महिला आरक्षण लागू हो गया तो किन राजनीतिक दलों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। 2019 के चुनावों के आंकड़ों पर गौर करें तो देश भर में कुल 724 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था, जिसमें कांग्रेस ने सबसे अधिक 54 महिलाओं को मैदान में उतारा था। भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी, जिसने 53 महिलाओं को मैदान में उतारा था। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से 11-11 महिलाएं जीतकर संसद पहुंची थीं।
चूंकि भाजपा और कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है तो उसे इसका सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है। दूसरी अन्य क्षेत्रीय पार्टियों को इसका कम लाभ मिल सकता है क्योंकि सामाजिक विन्यास के मुताबिक उन दलों में महिलाओं की मौजूदगी कम है। राजद, जेडीयू और सपा जैसी पार्टियां जो ओबीसी वोट बैंक के आधार पर राजनीति करती हैं, वे इसीलिए इसमें ओबीसी के लिए सब-कोटा की मांग कर रहे हैं। अन्यथा वो इस मामले में पिछड़ सकते हैं।
बिहार-यूपी का मौजूदा हाल
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं लेकिन वहां से 10 फीसदी भी महिला सांसद मौजूदा लोकसभा में नहीं हैं। 17वीं लोकसभा में वहां से सिर्फ तीन महिला सांसद जीतकर आई हैं। इनमें बीजेपी, जेडीयूी और लोजपा से एक-एक हैं। कांग्रेस और राजद साफ है।
80 सीटों वाला उत्तर प्रदेश इस मामले में बिहार से आगे है। वहां मौजूदा लोकसभा में 11 महिला सांसद हैं। हालांकि 2014 में यह संख्या 13 थी जो घट गई है। 2019 में यूपी में कुल 104 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने यहां भी सबसे ज्यादा 12 महिलाओं को मैदान में उतारा था। दूसरे नंबर भाजपा रही थी, जिसने 10, अपना दल ने एक सपा ने 6 और बसपा ने 4 महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा था।
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