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चंद्रयान-3 की सफलता ने पूरे विश्व भर में भारत का झंडा बुलंद किया है। इस मिशन को सफल बनाने में इसरो के वैज्ञानिकों, कई इंजीनियर, चीफ स्टार और टेक्नीशियन ने दिन रात एक कर दिया होगा, तब जाकर चंद्रयान-3 की इबारत लिखी गई होगी। मगर जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं इसी तरह इस मिशन को लेकर भी कई रिपोर्ट्स में अलग-अलग खुलासे किए जा रहे हैं। बीबीसी की रिपोर्ट की मानें तो रांची के रहने वाले दीपक कुमार उपरारिया, जिन्होंने चंद्रयान-3 मिशन में अहम रोल अदा किया था, आज सड़कों पर इडली बेचने को मजबूर हैं।
दीपक उपरारिया का कहना है कि उन्हें 18 महीने से सैलरी नहीं मिली है। जिसके बाद मजबूरन उन्हें यह काम करना पड़ा। इसरो के टेक्नीशियन दीपक रांची के धुर्वा एरिया के ओल्ड लेजिस्लेटिव असेंबली के सामने 15 रुपये प्लेट इडली बेचते हैं। उन्होंने इसरो के मून मिशन चंद्रयान-3 के लॉन्च पैड को तैयार करने में मदद की थी।
बीबीसी की रिपोर्ट की मानें तो आर्थिक तंगी से जूझ रहे दीपक उपरारिया को 18 महीने से वेतन नहीं मिला है, जिसके चलते उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो गई है। बता दें हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) रांची में स्थित हैं, जिसे चंद्रयान-3 के स्पेसक्राफ्ट के फोल्डिंग प्लेटफॉर्म और स्लाइडिंग डोर बनाने का जिम्मा सौंपा गया था। इसी प्रोजेक्ट के तहत दीपक उपरारिया ने चंद्रयान-3 मिशन में काम किया था।
दीपक उपरारिया की मानें तो उन्होंने इडली बेचने का काम तो शुरू कर दिया है, लेकिन उन्होंने अपनी एचईसी वाली जॉब नहीं छोड़ी। वो रोज सब कुछ मैनेज करते हैं। सुबह वो इडली बेचते हैं और फिर जॉब पर जाते हैं। जॉब से आने के बाद भी वह इडली और चाय बेचा करते हैं।
बीबीसी से बातचीत के दौरान दीपक उपरारिया ने कहा, “बुरे दौर में मैंने क्रेडिट कार्ड से अपना घर चलाया. बाद में मुझे 2 लाख रुपयों का लोन मिला. मुझे डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया. इसके बाद मैंने रिश्तेदारों से पैसे लेकर घर चलाना शुरू किया. अब तक मेरे सिर पर चार लाख रुपये का कर्ज हो चुका हूं. क्योंकि मैंने अभी तक किसी के पैसे नहीं लौटाये, इसलिए अब सबने मुझे उधार देना बंद कर दिया है। साथ ही मैंने अपनी पत्नी के गहने भी गिरवी रखकर कुछ दिनों तक घर चलाया।”
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