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‘चलो खिसको जस्टिन ट्रूडो, तुम्हारा टाइम पूरा हुआ’, भारत से तनातनी के बीच विदेशी मीडिया में कनाडाई PM की खिंचाई

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कनाडा से भारत के राजनयिक को निकाले जाने के बाद भारत ने भी जवाबी कार्रवाई में कनाडाई राजनयिक को नई दिल्ली से निकाला दे दिया है। इससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में कड़वाहट और बढ़ गई है। उधर, विदेशी मीडिया में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की आलोचना हो रही है। कनाडा मूल के पत्रकार एंड्रयू मिट्रोविका ने ‘अल जजीरा’में लिखे एक कॉलम में ट्रूडो के कामकाज की आलोचना की है और कहा है कि उनका टाइम अब पूरा हो चुका है और उन्हें अब कनाडा से अपने प्यार मोहब्बत को छोड़ देना चाहिए। 

अल जजीरा में ‘दूर जाओ,जस्टिन ट्रूडो, तुम्हारा कनाडा का प्रेम संबंध ख़त्म हुआ’ शीर्षक वाले आलेख में एंड्रयू मिट्रोविका ने लिखा, “2015 में जब जस्टिन ट्रूडो 43 साल की उम्र में भारी बहुमत के साथ प्रधान मंत्री बने, तो कहा गया था कि संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी का कनाडा में पुनर्जन्म हुआ है जो, युवा, जीवंत और करिश्माई है।” 

तब विदेशी मीडिया और कई क्रोधित अंतरराष्ट्रीय मीडिया विशेष रूप से न्यूयॉर्क टाइम्स, ने ट्रूडो के नेतृत्व वाली सरकार की स्वतंत्र दुनिया के एक नैतिक नेता के रूप में प्रशंसा की थी। युवा ट्रूडो तब एक दशक पुरानी कंजर्वेटिव सरकार के विकल्प के तौर पर उभरे थे। कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार में नौकरशाही ने लोगों को दबा रखा था। लिबरल पार्टी की उनकी सरकार आठवें साल में प्रवेश कर रही है लेकिन सात साल के सफर में ही उनकी लोकप्रियता  का जादू खत्म हो चला है। 

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एंड्रयू मिट्रोविका ने लिखा है कि अब ट्रूडो का उत्साह कम हो गया है। उनकी सरकार में भी घोटाले सामने आने लगे हैं।  उनकी चिर परिचित शैली पर अब घमंड हावी होने लगा है। उनकी  लोकप्रियता दुश्मनी में बदल गई है ऐसे में कनाडा में परिवर्तन अब अपरिहार्य लगने लगा है। मिट्रोविका ने इस बात पर भी कनाडाई प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है कि उनकी विदेश नीति बेपटरी हो रही है। मिट्रोविका ने जूनियर ट्रूडो को अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो से भी सीख लेनी चाहिए।

ट्रूडो को हाल ही में सरकार के खिलाफ उपजे रोष की वजह से सरकार और अपनी कुर्सी को खोने की चिंता सता रही थी। उन्हें परेशान करने वाली कॉकस का सामना करना पड़ा था। दरअसल, ट्रूडो इसलिए भी सत्ता संचालन में सहमे हुए हैं क्योंकि 2019 के चुनावों में उन्हें पूर्ण बहुमत नहीं मिली थी। सरकार बनाने के लिए उन्हें 170 सीटें चाहिए थीं लेकिन उनकी  लिबरल पार्टी ने सिर्फ 157 सीटें ही जीती थीं। तब उन्हें खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की पार्टी NDP ने समर्थन दिया था। उसके पास 24 सांसद थे। चुनाव के बाद सिंह और ट्रूडो ने कॉन्फिडेंस-एंड-सप्‍लाई एग्रीमेंट साइन किया था। यह समझौता 2025 तक लागू रहेगा।

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