राह देखते-देखते गुजर गए 19 बरस, लेकिन लापता बेटे की कोई खबर नहीं आई। मां के दिल का एक कोना आज भी कहता है, बेटा आएगा और अपने वादों को पूरा करेगा। उम्मीद का दामन है कि छोड़ा नहीं है। राह देखते-देखते बूढ़ी हो चली हैं आंखें, रोते-रोते पथरा गई हैं, बुजुर्ग मां की आखें। यह कहते हुए सुबक पड़ती हैं, शूर्यकला देवी। फिर रूआंसे गले से वह कहती हैं कि इसे क्या जवाब दूं (अपनी पोती की ओर इशारा करते हुए), मेरे पास इसके सवालों का जवाब नहीं है। आज का दिन मेरे जीवन का सबसे कठिन दिन है। आज ही के दिन मेरा बेटा लापता हो गया था। क्या-क्या नहीं किया, किस-किस के दर पर नहीं गए। लेकिन सब व्यर्थ… पीड़ित परिवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी लापता बेटे का पता लगाने का गुहार लगा चुका है।
मूल रूप से बिहार के मधुबनी जिले के नाहर गांव निवासी शूर्यकला देवी, पति- दुर्गानंद झा के बेटे सार्जेंट संजय कुमार झा भारतीय वायुसेना में बतौर फ्लाइट इंजीनियर तैनात थे और 19 साल पहले 16 नवंबर, 2004 को पठानकोट एयरबेस स्थित कार्यस्थल से रहस्यमय ढंग से लापता हो गए थे। संजय के माता-पिता व भाई पश्चिम बंगाल के हावड़ा के दासनगर, बालीटिकुरी में ही रहते हैं।
शूर्यकला देवी के अनुसार, बीते 19 वर्षों में बार-बार विभाग व सरकार से पूछने पर भी सही जानकारी हमें नहीं मिली। विभाग ने पहले तो उसे भगोड़ा बताया, फिर हाई कोर्ट ने फटकारा तो विभाग ने लापता कह दिया। मुझे जानना है कि मैं इसी तरह इंतजार करती रहूं या फिर अपनी बहू के माथे के सिंदूर को अपने हाथों से ही पोंछ दूं। दुनिया में आने के बाद से हर रोज अपने पापा से मिलने के ख्वाब सजा रही, अब जवान हो चुकी मेरी पोती को क्या कह दूं कि उसका पिता दुनिया छोड़ चुका है।
मैं एक अभागा पिता, पता नहीं बेटा कहां है…
संजय के बुजुर्ग माता-पिता व परिवार के लोग बीते 19 वर्षों में बेटे का पता लगाने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों से लेकर रक्षा मंत्री, प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति तक गुहार लगा चुके हैं। लेकिन आज तक कोई पता नहीं चला। बुजुर्ग मां-पिता की पथराई आंखें मौन सवाल करती हैं, आखिर कहां है उनका बेटा। 74 वर्षीय संजय के पिता दुर्गानंद झा कहते हैं, एक पिता के लिए उसके बेटे का वायुसेना में होना गर्व की बात होती है, लेकिन मैं ऐसा अभागा पिता हूं, जिसे ये तक नहीं पता कि उसका बेटा कहां है।
पीएम से अपील, आंखों में बीत जाती है रात
शूर्यकला देवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भावुक अपील की है। वह कहती हैं कि प्रधानमंत्री जी मेरा बेटा जिंदा है या मर गया, इस सवाल के साथ पिछले 19 बरस रात और दिन आंखों में बीत गए। जब आखिरी बार उसे घर से भेजते समय का उसका चेहरा भूल नहीं पाती। मेरी पोती जब मुझसे पूछती है कि पापा कब आएंगे, तो मेरे पास कोई जवाब नहीं होता। आप ही मेरी आखिरी उम्मीद हो। क्या मैं मरने से पहले अपने बेटे को देख पाऊंगी।
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पत्नी को मिली थी नौकरी
गौरतलब है कि विभाग ने संजय के लापता होने के बाद पहले भगोड़ा घोषित कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की। इस पर झा परिवार ने पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट का रुख किया। 2009 में हाई कोर्ट के निर्देश पर वायुसेना की तीसरी कोर्ट आफ इंक्वायरी (जांच अदालत) ने पिछली दो कोर्ट आफ इंक्वायरी के आदेश को निरस्त करते हुए संजय को लापता घोषित किया और उसके बाद विभाग ने पत्नी को फैमिली पेंशन समेत अन्य सभी विभागीय सुविधाएं प्रदान करना शुरू किया था। लंबी लड़ाई के बाद 2016 में वायुसेना ने आखिरकार पत्नी को नौकरी भी दी। संजय की पत्नी फिलहाल दिल्ली में पश्चिमी वायुसेना कमान मुख्यालय में तैनात हैं।
विभाग ने मानी थी गलती
वायुसेना की जांच अदालत ने 2009 में माना था कि शुरुआत में जूनियर अधिकारियों द्वारा की गई जांच के आधार पर भगोड़ा घोषित करने से न सिर्फ एक जाबांज वायुयोद्धा संजय के परिवार को असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ा, बल्कि इससे वायुसेना की साख भी धूमिल हुई। अदालत ने भविष्य में इस प्रकार के मामलों में विंग कमांडर या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में जांच की सिफारिश तक की थी।
सांसद भी सीबीआई जांच की कर चुके हैं मांग
मां के अनुरोध पर दरभंगा के तत्कालीन सांसद कीर्ति झा आजाद भी कई बार रक्षा मंत्री को पत्र लिखकर इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर चुके हैं। कीर्ति आजाद ने सरकार व विभाग के रवैए पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इतने वर्ष बीते जाने के बावजूद बिना उचित जांच के इस मामले का अनसुलझा रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। दरअसल, झा परिवार शुरुआत से ही इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते रहे हैं। इसको लेकर संजय के पिता ने दिल्ली हाई कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया था।