मुंबई/रायगढ़. महाराष्ट्र (Maharashtra) में रायगढ़ जिले (Raigad District) के एक गांव में भूस्खलन (Landslide) से मरनेवालों की संख्या बढ़कर 16 हो गई। साथ ही 21 लोगों बचा लिया गया है। इसी के साथ भारी बारिश और अंधेरे में आगे भूस्खलन के खतरे को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने बचाव अभियान बंद कर दिया है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
एनडीआरएफ ने कहा, “भारी बारिश और अंधेरे में आगे भूस्खलन के खतरे को देखते हुए, स्थानीय प्रशासन के परामर्श से बचाव अभियान बंद कर दिया गया है और कल सुबह फिर से शुरू किया जाएगा। आज का अंतिम आंकड़ा 16 शव बरामद किए गए और 21 लोगों को बचाया गया है।”
Raigad landslide Update | Owning to heavy rainfall and the threat of further landslide in the dark, the rescue operation has been called off with consultation of Local Administration and will resume tomorrow morning. The final figure for today is 16 dead bodies recovered and 21…
— ANI (@ANI) July 20, 2023
गौरतलब है कि भूस्खलन बुधवार रात करीब 11 बजे मुंबई से लगभग 80 किलोमीटर दूर खालापुर तहसील के इरशालवाड़ी गांव में हुआ। यह घटना इलाके में लगातार मूसलाधार बारिश के चलते हुई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे स्थिति का जायजा लेने के लिए सुबह घटनास्थल पर पहुंचे और बचाव कार्य में लगे कर्मियों से बातचीत की।
उन्होंने कहा, कम से कम 103 ऐसे लोगों की पहचान की गई है जो वहां रह रहे थे। उनमें से कुछ धान के खेतों में काम के लिए बाहर गए थे और कुछ बच्चे आवासीय स्कूलों में थे। उन लोगों की तलाश की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार क्षेत्र में बचाव एवं राहत अभियान चलाने के लिए सभी प्रयास कर रही है।
#रायगड जिल्ह्यातील #खालापूर जवळील #इर्शाळवाडी या दुर्घटनाग्रस्त गावाला भेट देऊन येथील परिस्थितीचा आणि सुरू असलेल्या मदतकार्याचा आढावा घेतला.
या दुर्घटनेत १२ जणांचा मृत्यू झाला आहे. काही ग्रामस्थ भातशेतीच्या कामासाठी इतरत्र गेले असून गावातील काही मुले आश्रमशाळेमध्ये शिक्षण घेत… pic.twitter.com/faoC8wAK7R
— Eknath Shinde – एकनाथ शिंदे (@mieknathshinde) July 20, 2023
शिंदे ने संवाददाताओं से कहा, “यह गांव भूस्खलन संभावित गांवों की सूची में नहीं था। अब हमारी प्राथमिकता मलबे में फंसे लोगों को बचाना है।” शिंदे ने कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और राज्य सरकार प्रभावित लोगों के साथ खड़ी है। लगातार भारी बारिश हो रही है और मलबे का 20 फुट ऊंचा ढेर लग गया है।”
उन्होंने कहा कि अधिकारी बचाव अभियान के लिए मशीनरी ले जाने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने बताया कि अभियान के लिए दो हेलीकॉप्टर तैयार रखे गए हैं, लेकिन खराब मौसम के कारण वे उड़ान नहीं भर पाए हैं। भूस्खलन प्रभावित ग्रामीणों के पुनर्वास के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके लिए (अस्थायी आश्रयों के रूप में) 50 से 60 कंटेनर की व्यवस्था की गई है और उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने की योजना है।
शिंदे ने कहा, “हम जल्द ही भूस्खलन प्रभावित ग्रामीणों के उचित पुनर्वास के लिए कदम उठाएंगे। मैंने संभागीय आयुक्त और जिला कलेक्टर से बात की है और इन ग्रामीणों के स्थायी पुनर्वास के बारे में तुरंत चर्चा की है। हम इसे युद्ध स्तर पर कर रहे हैं।”
इससे पहले दिन में, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने एक बयान में कहा कि वहां 48 परिवार रह रहे थे। उन्होंने कहा, “घायलों का चिकित्सा व्यय राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। हम मृत व्यक्तियों के परिजनों के लिए उचित मुआवजे की घोषणा करेंगे।”
आज सुबह खालापुर-इर्शालवाडी भूस्खलन दुर्घटना के बचाव कार्य के बरें में मीडिया को जानकारी दी।
रायगड ज़िले में खालापुर-इर्शालवाडी की भूस्खलन दुर्घटना बेहद गंभीर। मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ।
दुर्घटनास्थल पर प्रशासन का बचाव कार्य रात से जारी है।
मुख्यमंत्री… pic.twitter.com/uQl8ckOhVg— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) July 20, 2023
इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि एनडीआरएफ की चार टीम स्थानीय अधिकारियों के साथ बचाव कार्य में लगी हुई हैं। उन्होंने बताया कि दमकल दल और कुछ स्थानीय ट्रैकर्स भी बचाव अभियान में मदद कर रहे हैं।
अधिकारी ने बताया कि गांव में लगभग 50 घर हैं, जिनमें से 17 भूस्खलन में दब गए हैं। अधिकारियों के अनुसार, पड़ोसी ठाणे से भी बचाव दल भी मौके पर भेजे गए हैं। यह गांव मोरबे बांध से छह किमी दूर है, जो नवी मुंबई को पानी की आपूर्ति करता है। यह माथेरान और पनवेल के बीच स्थित इरशालगढ़ किले के पास स्थित है और यह किला प्रबलगढ़ का एक सहयोगी किला है। इरशालवाड़ी एक आदिवासी गांव है जहां पक्की सड़क नहीं है। मुंबई-पुणे राजमार्ग पर चौक गांव निकटतम शहर है।
उल्लेखनीय है कि 30 जुलाई 2014 को पुणे जिले की अंबेगांव तहसील के मालिन गांव में हुए भूस्खलन के बाद यह महाराष्ट्र में सबसे बड़ा भूस्खलन है। भूस्खलन की उस घटना में लगभग 50 परिवारों वाले पूरे आदिवासी गांव में तबाही मच गई थी और मरने वालों की अंतिम संख्या 153 बताई गई थी।
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