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Uttarkashi Tunnel Rescue | उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों का पहला Video आया सामने, जागी सबकी उम्मीद, रेस्क्यू ऑपरेशन भी जारी | Navabharat (नवभारत)

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उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों का पहला वीडियो आया सामने

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नई दिल्ली/उत्तरकाशी: एक बड़ी खबर के अनुसार जहां उत्तरकाशी (Uttarkashi) के सिलक्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel) में फंसे 41 मजदूरों के लिए 6 इंच की पाइपलाइन अब जैसे एक नई लाइफलाइन बन गई है। वहीं जबन इन मजदूरों को इस पाइप से पहली बार गर्म खाना भेजा गया तो अब उनकी तस्वीरें और वीडियो भी सामने आया है। 

टनल में फंसे 41 मजदूरों का पहला Video

वहीं इन तस्वीरों  और विडियो को देखें तो सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि सुरंग में मलबे के ढेर के पीछे मजदूर फिलहाल स्वस्थ दिख रहे हैं। दरअसल एक एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरा फंसे मजदूरों तक पहुंचा। बचावकर्मी वॉकी-टॉकी के माध्यम से फंसे हुए श्रमिकों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं।ये सभी टनल में मलबा गिरने की वजह से आज 10 दिन से फंसे हैं।

तस्वीरें देख मिली राहत 

इधर जैसे ही फंसे हुए श्रमिकों की पहली तस्वीरें आज सुबह सामने आईं। वैसे ही मजदूरों के परिवार वालों के जैसे जान में जान आई। वहीं सिल्कयारा सुरंग में फंसे एक श्रमिक के परिवार के एक सदस्य का कहना है, ”हमें उम्मीद है कि वे ठीक हैं। लेकिन जब मैं उनसे बात करुँगी तो मैं संतुष्ट हो जाउंगी।”

जानकारी दें की सुरंग में फंसे मजदूरों को बीते सोमवार को पहली बार खाना भेजा गया था। इसकी जानकारी खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया के जरिए दी। उन्होंने बताया कि फंसे मजदूरों के लिए पहली बार खिचड़ी भेजी गई थी। वहीं आज भी उत्तरकाशी के सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों के लिए नाश्ता तैयार किया जा रहा है। जिसे 6 इंच की पाइपलाइन के जरिए मजदूरों तक खाना पहुंचाया जा रहा है।

पता हो की उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हादसा हुआ था। तब इस टनल के एंट्री प्वॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी थी। इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए थे। वहीँ इस रेस्क्यू के दौरान 16 नवंबर को टनल से और पत्थर गिरे थे, जिसकी वजह से मलबा कुल 70 मीटर तक फैला गया था।

बचाव अभियान में जुटे सुरक्षा कर्मचारी निपू कुमार ने कहा कि संचार स्थापित करने के लिए पाइप लाइन में एक वॉकी-टॉकी और दो चार्जर भी भेजे गए हैं।  श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए कई दिशाओं से किए जा रहे प्रयासों के तहत भारतीय वायुसेना ने एक सी-17 और दो सी-130जे सुपर हरक्यूलिस परिवहन विमान से 36 टन वजनी मशीनें पहुंचा दी हैं ।   

इस बीच, सूत्रों ने बताया कि सिलक्यारा सुरंग की ओर से अमेरिकन ऑगर मशीन से ‘निकलने का रास्ता’ बनाने का कार्य फिर शुरू होने वाला है। दिल्ली से आई अभियांत्रिकी टीम ने शुक्रवार दोपहर किसी कठोर सतह से टकराने के बाद रुकी इस मशीन के कलपुर्जे बदल दिए हैं।  श्रमिकों से उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछने वाले चिकित्सक प्रेम पोखरियाल ने बचावकर्मियों को सलाह दी है कि मंगलवार को उन्हें भोजन में मूंग दाल की खिचड़ी भेजी जाए जिसमें सोया बड़ी और मटर शामिल हों। इसके अलावा उन्होंने केला भेजने की भी सलाह दी है।

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